Roots

Tuesday, November 24, 2020

बेचैनी

रंग भरना इतना आसान न होता
गर ये नादानी न होती
रंग तो भिखरे पडे थे
इन्हे परखना इतना आसान न होता
गर ये आतुरता न होती
फर्श तो बाँझ पडा था
इसका रंगोली से फुलना इतना आसान न होता
गर ये बेचैनी न होती
ये तेरी बेचैनी न होती
कुछ करने कीं
कुछ कुछ करने कीं
कुछ करते रेहने कीं
ये तेरी बेकली
ये खारिश न होती
दोस्त, सलाम मेरा
सलामत रहें तेरी ये लालसा!

- चांदनी गिरीजा
31-10-16