Roots

Monday, July 25, 2016

कारी जख्म

यह रोना हैं ईशक का
हर पिढी का गाना हैं
यह जहर हैं मीठा सा
हर कंठ में फँसा हैं
यह चिंगारी हैं 'होने' की
अस्तित्व का मतलब बनाने की
जिसे जमानेने लालसा से घी पिलाया हैं

धुंदले नजर पे जरा चष्मा बिठा दे
अपनी काठी खुद ही काट दे
यार अब बस भी करते हैं!!

- चा.गि. 25-07-16

Monday, July 11, 2016

Hide Tide :D

"नशीबत हा फुलांचा
का सांग वास येतो
हासून पाहिल्याचा
नुसताच भास होतो"

टप-टप-टप
पड़ती हैं बारिश की बूँदें 
और शुरू होता है यह गीत
समुंदर की लहरों कि तरह
पहले धीमे-धीमे
हल्का-फुल्कासा
फिर तेज
डुबाने जैसा
अाज खिल उठा है पूरा कमरा
मेरी हँसी की रौनक से
देखो
मेरे अपनों के चेहरों पर
सूरज बेहया अपना तन फैला रहा है!
रोशनी की किरण
मेरी अाँखों से जाकर
उनकी अाँखों में टकरा रहा है
और उनकी अाँखों से
दीवारों पर
दीवारों से छत पर
छत से फर्श पर
और बाढ़ की तरह
यह सिलसिला
बढ़ता ही चला जाता है

अाज खुशी से फुली न समाई हूँ...

- चाँदनी गिरीजा