Roots
Saturday, August 15, 2020
Discordance
Strum again that tune
The despicable tune of melancholy
The synchronicity is beautiful
Like the mewling of a goatling
Or the meowing of a kitten
That reaches the tender pockets of your bossom
You want to pick up that thing,
Stroke away its distress
That tune reaches a pocket in your head too
The pocket of flowiness
You want to pick up a paintbrush
And action that tune into colours
That thing here is me
That tune is me
The listener too is me
Only a larger pocket in my head speaks up
It says,
"Shut up, shut up, you ... thing.
Get up, get up
And go about your day."
I get up, get up
Sighing
I put the water to brew for the tea
I pull loose my pony-tail
I tie the rubber-band around the throat chords
Silence.
Work.
Adulthood.
- 07-10-18
Tuesday, August 4, 2020
चित्र
मला तुझ्यात काय आवडलं?
तसे काहीच नाही.
वर-वरचं हसून बोलायला शिकलेय मी
माझ्यातलं माझेपण लपवायला शिकलेय मी
मी तुझं कौतुक केला असेन तर
त्यावर जाऊ नकोस
पण एक चित्र डोळ्यांवर ठसून आहे
निरोप घेऊन मी वळत असतांना
तुझ्या सावलीचा एक भाग दिसत होता
तू दोन क्षण थांबला होतास तिथे
त्या थांबण्यात ओढ न्हवती
काळजी होती
"ही जात आहे का व्यवस्थित?"
मऊपण होतं त्या सावलीच्या तुकड्यात
बाकी तुझ्या वर-वरच्या रेषांशी
माझं इतकं घेणं-देणं नाहीये
कळलं का आता
काय आवडलं ते?
-चा.गि.
13-10-18
I don't Wanna Write
"Are you afraid?"
"..."
"Of what?"
"..."
"It is okay to express; it is good"
"!!!"
"It is okay to be vulnerable; it is good"
"_"
"No, don't look down at those scars.
It is okay to have them; it is good"
"_#$_"
"Don't curse me silently"
":):)"
"Now you smile!"
"The world is noise.
Sometimes, it is okay to be silent; it is good."
- 18-01-19
मंटो
दोस्तों ने कहा, मैं पागल हूँ
घरवालों ने इसके सबूत इखट्ठा किये
मेरा तो खुदसे भरोसा उठ गया
मैक्रोफोने को पकड़े थरथरा रही थी मैं आज
गले से आवाज रोंदी सी आ रही थी
वह शायद सीने से रोना ही निकल रहा था
भाषण के लब्ज़ों में
लोगों को बुरा लगा
भाषण के बाद पीठ थप-थपाये, प्रोत्साहित कर रहे थे
शाम को तुझसे मिली
लैपटॉप के परदेह पर तू हिल रहा था, और जी मैं रही थी
अच्छा लगा
खुदसे मिलकर
मेरी मेरे पागलपन से पूरी पहचान हो गयी
मुझे समझ आया
जैसे माइग्रेन-वाले इंसान को रोशनी सहन नहीं होती
मैं उन्हें सहन नहीं होती
उनके माइग्रेन-भरे सरों में
मैं एक अपवाद हूँ
बीमार तो वो हैं मंटो
पागल तो वो हैं!
- चाँदनी गिरिजा
२८-०१-१९