Roots

Thursday, April 28, 2022

नील बट्टे सन्नाटा

परिवार खून से नहीं बनता
घर से निकल कर
इससे ढूंढो
जो तुम्हारे हिस्से में
एक टुकड़ा धूप का
जोड़ते हैं
वहीं अपने हैं
वहीं परिवार हैं
उनका मिसाल लेकर चलो
सूखे पत्ते में लपेटकर
धागे से बांधकर
गले में डाल चलो
उम्र के साथ देखो
देखो
यह माला कितनी सजती हैं
इसी को अपनी
अपनी एक कामयाबी समझो
चलते रहो
मगर चलते रहो
पानी की तरह
अपना घर 
केवल अपने अंदर बसाओ
-
चांदनी गिरिजा
दिन २८/३० | ३० दिनों में ३० कविताएं | राष्ट्रीय कविता लेखन महीना #नापोरिमो

#napowrimo #napowrimo2022

No comments:

Post a Comment