Roots

Wednesday, April 5, 2023

फ़रवरी की बारिश

किसी मेंढक की तरह 
दब गया हैं मेरे शरीर के पानी में 
वह संकीर्ण किस्सा  
शरीर तो पानी हैं, पानी में 
मिश्रित हुआ नहीं अब तक 
किसी गुब्बारे की तरह 
डकारता हैं अचानक
वह संकीर्ण किस्सा
-
चांदनी गिरिजा 


दिन ०५/३० | ३० दिनों में ३० कविता | राष्ट्रीय कविता लेखन माह #napowrimo

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